हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अनुसार, आपसी सहमति से तलाक दिया जा सकता है।
तलाक के लिए आपको निम्नलिखित दो चीजें साबित करनी होंगी:
- तलाक का निर्णय आपकी आपसी सहमति से लिया गया है।
- आपकी साक्षी गवाही, जिससे यह सिद्ध होगा कि आपकी सहमति आपकी अपनी इच्छा से ली गई है और उसे किसी दबाव या भेदभाव के तहत नहीं दी गई है।
यदि आपकी सहमति से तलाक के लिए आवेदन किया गया है, तो आपको अपने वकील की सलाह लेनी चाहिए और न्यायालय में तलाक के लिए आवेदन करना होगा। आवेदन पर निर्णय देने के लिए न्यायालय आपके दोनों पक्षों के साक्ष्य और तथ्यों का विश्लेषण करेगा। तलाक की प्रक्रिया के लिए, न्यायालय आपको दोषी और निष्कर्ष जारी कर सकता है या आपके दोनों पक्षों के बीच तलाक की डिग्री कर सकता है |
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत आपसी सहमति से तलाक प्राप्त करना संभव है। यह एक आसान विधि है जिसमें दोनों पति-पत्नी के बीच मौजूदा समझौते के आधार पर तलाक दिया जा सकता है।
यदि पति-पत्नी दोनों तलाक के लिए सहमत हैं, तो वे अपनी आपसी सहमति के आधार पर तलाक प्राप्त कर सकते हैं।
इस प्रक्रिया के दौरान, पति-पत्नी आमतौर पर तलाक परिचय पत्र (Divorce Petition) पर हस्ताक्षर करते हुए अपनी आपसी सहमति व्यक्त करते हैं।
पति-पत्नी आपस में तलाक के लिए सहमत होते हैं तो वे न्यायालय में तलाक के लिए याचिका दायर कर सकते हैं। याचिका दाखिल करने के लिए, वे एक वकील की मदद ले सकते हैं। वकील याचिका को तैयार करेंगे और याचिका दायर करने के लिए न्यायालय में पेश करेंगे |