आजकल हम और आप देख रहे है मकान मालिक और किरायेदार के मध्य छोटी छोटी बातो को लेकर जैसे मकान की मरम्मत, बिजली का बिल , पानी का बिल , किराये का समय से जमा ना करना, मकान को समय से खाली ना करना, मकान को जबरदस्ती खाली करना आदि मुद्दों पर दोनों पक्षों के मध्य विवाद हो रहे है, जिस से दोनों के बीच कटुता तथा वैचारिक मतभेद बढ़ते जा रहे है | जिस से अशांति या अप्रिय घटना का होने का अंदेशा हमेशा बना रहता है तथा उस के बाद दोनों पक्षों के मध्य पुलिस थाने के चक्कर और उस के बाद कोर्ट कचहरी के चक्कर लगे रहते है | इस विवाद की स्थिति को हवा देते है आस पडोश के लोग तथा इस विवाद के विषय मै सही व्यक्ति से सलाह मशिवरा ना होना | क्योंकि सलाह देने वालो को कानून की सही जानकारी नहीं होती | जिस से दोनों पक्षों के मध्य समय और पैसा दोनों की बर्बादी लगातार होती है | इन सभी विवादों से बचने के लिये राज्य सरकार ने मकान मालिक और किरायेदार के विवादों के समाधान के लिये विशेष रूप से उत्तर प्रदेश नगरीय किरायेदारी विनियमन अधिनियम 2021 बनाया गया है |
इस अधिनियम के तहत भूस्वामी एवं किरायेदार के बीच किराये के मकान के सम्बन्ध की सूचना किरायेदारी अवधि के प्रारंभ के दो माह के अन्दर किराया प्राधिकारी को दी जाएगी |
किरायेदारी करार (धारा 4) :- बारह माह से कम की अवधि के लिये आवासीय किरायेदारी के मामलों मै, भूस्वामी और किरायेदार के सम्बन्ध मै किराया अधिकारी को सूचित करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी |
किरायेदारी की अवधि (धारा 5) :- जहां कोई किरायेदार किसी निर्धारित अवधि मै समाप्त हो जाये और उसका नवीकरण न किया गया हो या किरायेदार ऐसी किरायेदारी की अवधि को समाप्ति पर परिसर को रिक्त करने मै विफल हो तो ऐसा किरायेदार, भूस्वामी को धारा 23 मै यथा उपबन्धित रूप मै बढ़ा हुआ किराया देने के लिये जिम्मेदार होगा |
किराया पुनरीक्षण (धारा 9) :- भूस्वामी और किरायेदार के मध्य किराया पुनरीक्षण किरायेदारी करार की शर्तो के अनुसार होगा |
किराये की दर आवासीय निवास के मामलो मै पांच प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से और गैर – आवासीय परिसर के मामलो मै सात प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढायी जा सकती है तथा किराये के वर्द्धि की दर मै वार्षिक आधार पर चक्रवर्द्धि की जायेगी | किराये मै ली गई धनराशि फिर से इस अधिनियम के प्रारम्भ होने तक उसी तरीके से प्रतिवर्ष पूर्ववत दरों पर बढाये जाने योग्य होगी |
किरायेदार द्वारा रिक्त करने से इंकार के मामले मै किराया का बढ़ाया जाना ( धारा 23) :- इस अधिनियम की शर्तो के अधीन किसी आदेश या नोटिस द्वारा किरायेदारी अवधि के समाप्त होने या किरायेदारी के पर्यवसान होने पर किरायेदारी करार के अनुसार किरायेदारी, किराये पर दिए गए परिसर को रिक्त करने मै विफल रहता है, वहा ऐसा किरायेदार, भूस्वामी को निम्नलिखित रूप मै संदाय करने के लिये उत्तरदायी होगा :- (अ) प्रथम दो माह के लिये मासिक किराया का दो गुना
(ब) इसके पश्चात तब तक मासिक किराये का चार गुना जब तक किरायेदार उक्त परिसर पर कब्ज़ा रखता है |
ऐसे मामलो की सुनवाई धारा 30 के अनुसार अपर जिला कलेक्टर या जिला अधिकारी द्वारा नियुक्त अधिकारी के पास होगी
भूस्वामी या किरायेदार को नोटिस सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के तहत या नोटिस , ईमेल , व्हाट्सएप , एसएम्एस या अन्य मान्यताप्राप्त इलेक्ट्रॉनिक मोड़ के माध्यम से भी तामील की जा सकती है |
भूस्वामी तथा किरायेदार को किराये से सम्बंदित मामलो के लिये कोर्ट जाने के जरुर नहीं | जल्द से जल्द भूस्वामी तथा किरायेदार के मध्य किराये की किरायेदारी करार से सम्बंदित मामलो के निस्तारण के लिये उत्तर प्रदेश नगरीय किरायेदारी विनियमन अधिनियम 2021 पारित हुआ |
उत्तर प्रदेश नगरीय किरायेदारी विनियमन अधिनियम 2021 की ज्यादा जानकारी के लिये सम्पर्क करे — एडवोकेट रणपाल अवाना नोएडा 9313304959