किरायेदार से मकान को खाली करवाने की प्रक्रिया निम्नलिखित तरीके से संभव है:
- किरायेदार को एक सूचना प्रेषित करें: पहला कदम है किरायेदार को एक विशेष सूचना भेजना होता है। उस सूचना में उन्हें उनके नियमित अवधि के समाप्त होने और मकान को खाली करने के लिए निर्धारित अवधि तक का समय दिया जाता है। इस सूचना को रीड रिसीप्ट या दाखिल रिसीप्ट के साथ भेजना चाहिए, जिससे सूचना के प्रामाणिक होने का सबूत मिले।
- किरायेदार के खिलाफ याचिका दायर करें: यदि किरायेदार सूचना में निर्धारित अवधि तक मकान को खाली नहीं करता है, तो मकान मालिक को न्यायिक याचिका दायर करनी चाहिए। याचिका में उन्हें उनके वैधिक कारणों के साथ किरायेदार के खिलाफ केस की जानकारी देनी चाहिए।
- याचिका के संबंधी कागजात जमा करें: याचिका दायर करने के साथ साथ, उसमें संबंधित कागजात भी जमा करने की आवश्यकता होती है। इसमें शामिल हो सकते हैं – नोटिस या सूचना, याचिका की प्रति और उसके साथ प्रमाणित प्रति, प्रमाण पत्र, किरायेदार के संपर्क और पहचान संबंधी दस्तावेज़, किरायेदार से संबंधित सभी किराया संबंधी परिचय, आदि।
- याचिका के अधीन निर्धारित न्यायालय में सुनवाई: याचिका को निर्धारित न्यायिक अधिकारी के सामने प्रस्तुत किया जाता है। वकील की मौजूदगी में याचिका के मामले की सुनवाई की जाती है।
- याचिका का निर्णय: याचिका की सुनवाई के बाद, न्यायिक अधिकारी किरायेदारी अधिनियम और संबंधित कानून के अनुसार निर्णय देता है। यदि याचिका स्वीकार की जाती है, तो किरायेदार को न्यायिक आदेश अनुसार निर्धारित समय तक मकान को खाली करने के लिए कहा जाएगा।
- न्यायिक आदेश के अनुसार कार्रवाई: अगर न्यायिक आदेश में उन्हें मकान को खाली करने का आदेश दिया जाता है, तो वे न्यायिक आदेश के अनुसार कार्रवाई कर सकते हैं, जैसे कि पुलिस द्वारा मकान के खाली करने की प्रक्रिया का पालन करना।
कृपया ध्यान दें कि उत्तर प्रदेश किरायेदारी अधिनियम के तहत यह प्रक्रिया विशेष तत्वों पर आधारित होती है |