भारतीय दंड संहिता की धारा 125, विधि और न्याय व्यवस्था में असहाय व्यक्ति के लिए भरण-पोषण की प्रावधानिक व्यवस्था प्रदान करती है। यह धारा धर्माधिकारियों, पत्नियों, अविवाहित पत्नियों, अल्पसंख्यक पत्नियों, अनाथ बच्चों, और संबंधित पुरुषों जैसे अन्य व्यक्तियों के लिए मासिक निधि (maintenance) या अनुदान के आदेश का विधायिक आधार है।
धारा 125 में निम्नलिखित तत्वों को ध्यान में रखा जाता है:
- धारा 125 के तहत, यदि किसी व्यक्ति का पति, पिता, या कोई अन्य परिवार का सदस्य उन्हें भरण-पोषण नहीं प्रदान करता है तो वे संबंधित व्यक्ति धारा 125 के तहत अपने पति या अन्य परिवार के सदस्य के खिलाफ न्यायिक आदेश प्राप्त कर सकते हैं।
- अनुदान की राशि न्यायिक अधिकारी या माननीय न्यायालय द्वारा विचार करके तय की जाती है, जो कि समस्या और परिस्थितियों के आधार पर भिन्न हो सकती है। इसमें प्रत्येक व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, परिवार के अन्य सदस्यों की आर्थिक सहायता, उनके आय और जमीनी संपत्ति, व्यय, जीवन यापन के स्तर आदि को ध्यान में रखते हुए न्यायिक नियम निर्धारित की जाती है।
- धारा 125 के तहत अनुदान के आदेश अनुमति देते हैं कि आर्थिक सहायता प्राप्त करने वाले व्यक्ति को नियमित अंतराल पर राशि दी जाए, जिससे वे अपने आवश्यकतानुसार अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें।
धारा 125 के तहत न्यायिक नियमों के अनुसार, संबंधित व्यक्ति को न्यायिक आदेश के अनुसार नियमित अंतराल पर मासिक निधि (maintenance) के रूप में राशि प्रदान की जाती है। यह राशि उन्हें उनकी आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करती है।
कृपया ध्यान दें कि भारतीय कानूनी विधि नियम निर्धारित करने के लिए समय-समय पर संशोधन किये जाते हैं और धारा 125 में भरण-पोषण की राशि को निर्धारित करने के लिए न्यायिक नियम भी बदलते रहते हैं।
और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी:-
माननीय न्यायालय धारा 125 के तहत भरण-पोषण की राशि निर्धारित करेगा। इस धारा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति धारा 125 के तहत अनुदान के लिए आवेदन करता है और उसे अनुदान देने का न्यायिक नियमानुसार कारण मिलता है, तो न्यायालय उसे विशेष राशि तय कर सकता है जिसे उसे विधिक अधिकारी या पत्नी, बच्चों या माता-पिता के लिए भुगतान करना होगा।
धारा 125 के अनुसार अनुदान राशि की निर्धारण में व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, अन्य विशेषताएं, जिम्मेदारियों का विचार और अन्य संबंधित परिस्थितियों का ध्यान रखा जाता है। यह राशि व्यक्ति के आर्थिक स्थिति, संबंध और परिवार के आधार पर अलग-अलग हो सकती है।