हनी निषाद बनाम उत्तर प्रदेश (Hani Nishad vs. State of Uttar Pradesh) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय दिया कि जब दो या दो से अधिक अपराधिक मामलों में एक ही व्यक्ति की जमानती याचिका लगाई गई हो तो उसे इन सभी मामलों में जमानती छूट की अनुमति दी जा सकती है, पर उसे एक विशेष स्व-शपथपत्र जमा करना होगा।
इस मामले में, हनी निषाद कथित तौर पर बहुत सारे अपराधों के मुकदमों में लिप्त था और उसने अपनी जमानती के लिए याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय दिया कि जब भी किसी व्यक्ति के खिलाफ एक से अधिक मुकदमे हों और वह सभी मुकदमों में जमानती की मांग करता हो, तो उसे सभी मुकदमों के लिए जमानती छूट की अनुमति दी जा सकती है। उसे एक स्व-शपथपत्र जमा करना होगा जो इस बात की पुष्टि करता हो कि वह सभी मुकदमों के लिए जमानती छूट की मांग कर रहा है।
केस के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर, जमानती छूट के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने कई निर्णय दिए हैं। कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों का उल्लेख निम्नलिखित है:
- अरुण यादव बनाम राज टीवी केस (2019) – सर्वोच्च न्यायालय ने जमानती छूट को लेकर निर्णय दिया था, जिसमें यह बताया गया था कि जमानती छूट को कैसे देना चाहिए और कैसे जमानती छूट की शर्तों को पूरा करना चाहिए।
- रोमी चड्ढा बनाम एनडीएमसी लिमिटेड केस (2016) – सर्वोच्च न्यायालय ने जमानती छूट को लेकर निर्णय दिया था, जिसमें यह बताया गया था कि जमानती छूट को कैसे देना चाहिए और यदि कोई शर्त या शर्तें ना पूरी हों तो क्या किया जाना चाहिए।
- जयपुर ब्लास्ट केस (2018) – सर्वोच्च न्यायालय ने इस केस में जमानती छूट के लिए निर्णय दिया था, जिसमें यह बताया गया था कि जमानती छूट को कैसे देना चाहिए